कहीं ऐसा न हो कि संभलता हुआ देश एक बार फिर हिंसा की चपेट में आ जाए और इराकी शरणार्थी अधिकारी की उम्मीद टूट जाए।
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उक्त इराकी शरणार्थी अधिकारी ने इस बाबत पूछे गए सवाल पर कहा था, “ अगर इराक में शिया और सुन्नी एक दूसरे के दुश्मन होते तो हम बीच सड़कों पर नहीं, बल्कि अपने घरों में एक दूसरे की जान ले रहे होते।